तंत्र (Tantra) संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है “तंतु” या “तंत्रा“। यह एक प्राचीन भारतीय धार्मिक और तांत्रिक शास्त्र है जिसमें विभिन्न साधना, मंत्र, यंत्र, और तांत्रिक क्रियाओं का विस्तार से वर्णन है। तंत्र शास्त्र का उद्दीपन वेदों और उपनिषदों में मिलता है, लेकिन इसका प्रमुख विकास पुराणों, अगम, और तांत्रिक साहित्य में हुआ है। 

तंत्र के अनुयायी विशेष रूप से भैरव और भैरवी तंत्र को महत्वपूर्ण मानते हैं, जो शक्ति (दिव्य शक्तियों की प्रतिष्ठा) की उपासना पर केंद्रित हैं। यह तंत्र मार्ग अनुष्ठान, उपासना, और मन्त्र-तंत्र की विशेषाधिकारिता पर आधारित है। 

तंत्र का उद्दीपन विशेष रूप से भूत-शक्तियों, मंत्र-शक्तियों, और यंत्र-शक्तियों के साथ संबंधित है। इसमें योग, पूजा, और ध्यान की विशेष प्रवृत्तियाँ होती हैं जो चेतना की उच्चता की दिशा में बढ़ने का प्रयास करती हैं। 

तंत्र शास्त्र का उद्दीपन वेदांत, शैव, शाक्त, वैष्णव, और कौलपन्थों में होता है, और यह विभिन्न तंत्रिक स्कूलों के अनुयायियों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। तंत्र का सिद्धांत यह है कि दिव्य शक्तियाँ अंतर्मन की उच्च शक्ति हैं, और इनका उपयोग साधक को आत्मा के पूर्णता की दिशा में मार्गदर्शन करने के लिए होता है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *